रौशनी की चाह रौशनी की चाह
न हो जाना तुम आश्वासित...... न हो जाना तुम आश्वासित......
सबकुछ देखते हुए समझते हुए भी धृतराष्ट्र और गाँधारी। सबकुछ देखते हुए समझते हुए भी धृतराष्ट्र और गाँधारी।
क्या कभी तुमनें धरती को रोते हुए अम्बर के लिए देखा है। क्या कभी तुमनें धरती को रोते हुए अम्बर के लिए देखा है।
आखिर कब तक किस्मत, की किस्मत सोई रहेगी। आखिर कब तक किस्मत, की किस्मत सोई रहेगी।
मौत के इस मैदान में, जिन्दगी जीत जाएगी। मौत के इस मैदान में, जिन्दगी जीत जाएगी।